
अभय न्यूज मुंगेली // महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा समाज में समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा अभिनव पहल ‘‘सामंजस्य कार्यक्रम’’ का जिला कलेक्टोरेट स्थित जनदर्शन कक्ष में आयोजन किया गया। कार्यक्रम के माध्यम से परिवारों को टूटने से बचाने, आपसी सामन्जस्य स्थापित कर अपने परिवार के साथ रहने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता एवं छत्तीसगढ़ महतारी की छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई। इस दौरान कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार, पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल, अतिरिक्त कलेक्टर श्रीमती निष्ठा पांडेय तिवारी, जिला पंचायत सीईओ श्री प्रभाकर पांडेय, अपर कलेक्टर श्रीमती मेनका प्रधान, जिला शिक्षा अधिकारी सी.के. घृतलहरे तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती संजुला शर्मा, जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्रीमती अंजुबाला शुक्ला और काउंसलर टीम के सदस्य मौजूद रहे। इस अवसर पर लगभग 10 परिवारों को आपसी सामंजस्य बातचीत कर परिवार के बीच जोड़ने में अहम भूमिका निभाया गया। कलेक्टर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पारिवारिक समस्याएं हर घर में होती हैं, लेकिन संवाद और समझदारी से उन्हें सुलझाया जा सकता है। उन्होंने मोबाइल, सोशल मीडिया और नशे को परिवार टूटने का एक बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी रील्स और दिखावे की दुनिया में जी रही है, जबकि परिवार वह असली दुनिया है जहां समझदारी, धैर्य और समय देना सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि आज भाई-बहन, पति-पत्नी, माता-पिता, सास-ससुर, दादा-दादी जैसे रिश्ते संवाद की कमी और डिजिटल व्यस्तता की वजह से बिखरते जा रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति, परंपराओं और मानवीय मूल्यों की ओर लौटने की जरूरत है। फेसबुक के हजारों दोस्त मुश्किल वक्त में साथ नहीं होते, लेकिन घरवाले हमेशा साथ रहते हैं।
पुलिस अधीक्षक ने जीवन और प्रकृति के सामंजस्य की तुलना करते हुए कहा कि प्रकृति हमेशा संकेत देती है, जैसे बारिश से पहले बादलों की गरज। उन्होंने कहा कि समय सबसे कीमती पूंजी है जो अगर रिश्तों को नहीं दिया गया, तो जीवन अधूरा हो जाता है। मोबाइल आज सौतेला जैसा हो गया है। जिसे समय देना चाहिए, हम उसी को नहीं दे पा रहे हैं। परिवार ही सबसे बड़ा बल है, और सबसे बड़ा संबल भी है। रिश्ते माँ की तरह होते हैं। उन्हें पोषण चाहिए, और वह संभव है केवल समय, संवाद और संवेदना से।
जिला पंचायत सीईओ श्री पांडेय ने कहा कि जीवन के हर चरण में सामंजस्य की आवश्यकता होती है। चाहे वह माता-पिता के साथ हो, स्कूल में सहपाठियों के साथ, कॉलेज में दोस्तों के साथ या फिर विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे मुद्दे अक्सर जीवन को इतना कठिन बना देते हैं कि लोग जीवन से हार मानने लगते हैं। कलेक्टर जनदर्शन में आने वाले कई मामलों में केवल संवाद की कमी होती है। मुकदमे भी सामंजस्य के अभाव में ही खड़े होते हैं। प्रशासन का प्रयास है, कि ऐसी स्थितियों को बातचीत से ही हल किया जाए। अपर कलेक्टर श्रीमती तिवारी ने बताया कि विवाह हेतु कम उम्र के लोगों के आवेदन बढ़ रहे हैं, लेकिन कई बार उनमें पारिवारिक सामंजस्य की कमी होती है। संयुक्त परिवारों की परंपरा कमजोर पड़ने के कारण भी समस्याएं बढ़ रही हैं। श्रीमती प्रधान ने कहा कि संवाद ही हर समस्या का समाधान है। बड़ी से बड़ी समस्या को भी बातचीत और समझदारी से सुलझाया जा सकता है।जिला शिक्षा अधिकारी ने पारिवारिक विघटन के विभिन्न कारणों की चर्चा करते हुए कहा कि विचारधारा, जीवनशैली, आर्थिक स्थिति और सामाजिक दबाव भी कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य समूह में जीने वाला प्राणी है, अकेले रहने से असंतुलन उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि सदियों से मानव समाज एकजुट रहकर फलता-फूलता आया है, हमें भी अपने बच्चों को ऐसे वातावरण में पालना चाहिए जहाँ संवाद और सामंजस्य हो। महिला बाल विकास विभाग की अधिकारी ने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल जिले में बल्कि राज्य के लिए एक उदाहरण बन सकता है। हर बिखरता परिवार नए सिरे से जुड़ सके, यही हमारा उद्देश्य है। ‘‘सामंजस्य कार्यक्रम’’ एक ऐसी सामाजिक पहल है, जो टूटते रिश्तों को जोड़ने, संवाद की परंपरा को पुनर्जीवित करने और समाज में संवेदनशील प्रशासन की मिसाल पेश करता है। जिला प्रशासन की यह पहल न केवल क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक मार्गदर्शक बन सकती है। समाज में जब संवाद, धैर्य और सामंजस्य का वातावरण बनेगा, तभी एक सशक्त, सुरक्षित और खुशहाल भविष्य की नींव रखी जा सकेगी।