पाँचवी-आठवीं के नतीजा आए महीना बीत गया ,छात्र अब भी भटक रहे मार्कशीट को

अभय न्यूज मुंगेली // जिले में कक्षा पाँचवीं और आठवीं के हजारों छात्र-छात्राएं अब भी अपनी मार्कशीट के इंतजार में हैं, जबकि परीक्षा परिणाम घोषित हुए एक महीना हो चुका है। 30 अप्रैल 2025 को राज्य सरकार द्वारा वार्षिक परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए थे, लेकिन ज़िले में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को अभी तक उनकी अंकसूचियाँ नहीं सौंपी गई हैं।इस देरी के चलते न सिर्फ छात्रों की अगली कक्षा में प्रवेश प्रक्रिया अटक गई है, बल्कि जिन विद्यार्थियों को पूरक परीक्षा देनी है, उनके लिए भी हालात उलझाऊ बन गए हैं। बिना मार्कशीट के वे यह तक नहीं समझ पा रहे कि उन्हें किस विषय में पूरक मिला है,स्थानीय निवासी और एक छात्र की माँ, रीता वर्मा कहती है, “बेटे को किस विषय में पूरक आया है, यह भी नहीं बताया गया है। हर दिन स्कूल जा रहे हैं लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा। अब नामांकन की तारीख भी पास आ रही है, हम बहुत चिंतित हैं।”
अभिभावकों और छात्रों में बढ़ रही नाराज़गी
मुंगेली ज़िले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्थिति लगभग एक जैसी है। छात्र रोज़ स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ़ यही जवाब मिलता है “मार्कशीट अभी नहीं आई है। ऊपर से निर्देश नहीं मिले हैं।” इस स्थिति ने अभिभावकों और छात्रों की परेशानी को कई गुना बढ़ा दिया है।
अधिकारियों की टालमटोल और छपाई में त्रुटियाँ बनीं कारण
इस पूरे मामले पर मुंगेली जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि परिणामों की छपाई में हुई त्रुटियाँ देरी की मुख्य वजह बनी हैं। पथरिया और लोरमी ब्लॉक की त्रुटियाँ पहले ही जिला कार्यालय में सुधार हेतु भेज दी गई थीं, जबकि मुंगेली ब्लॉक को हाल ही में अंतिम चेतावनी देकर सोमवार मतलब 9/6/25 तक सुधार कार्य पूरा करने को कहा गया है, अधिकारी ने यह भी बताया कि सभी ब्लॉकों से संशोधित डेटा आने के बाद मार्कशीट तैयार होने में 10 से 15 दिन और लग सकते हैं। हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया कि छात्रों को जल्द ही उनकी मार्कशीट उपलब्ध करा दी जाएंगी।
शाला प्रवेश उत्सव’ की तैयारी, लेकिन छात्रों को भविष्य की चिंता
राज्य सरकार 16 जून से ‘शाला प्रवेश उत्सव’ की शुरुआत करने जा रही है, जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक बच्चों को स्कूल से जोड़ना है। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है-जहाँ बच्चे अभी तक पिछले कक्षा के परिणाम की पुष्टि नहीं कर पाए हैं, वहाँ नए सत्र की शुरुआत कितनी सार्थक होगी, यह एक बड़ा सवाल है।
यह मामला सिर्फ़ कागज़ी देरी का नहीं, बल्कि छात्रों के पूरे शैक्षणिक भविष्य से जुड़ा हुआ है। शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह प्राथमिक स्तर की पढ़ाई को भी गंभीरता से लेते हुए ऐसे बुनियादी मुद्दों का समय पर समाधान करे। वरना यह ‘गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा’ के तमाम दावों को खोखला ही साबित करेगा।