धर्म – ज्योतिष

अखुरथ चौथ 11 को:सुख-सौभाग्य के लिए करते हैं पौष चतुर्थी का व्रत, इसमें चूहे पर सवार गणेशजी की पूजा करने का विधान है

पौष महीने की संकष्टी चतुर्थी 11 दिसंबर को है। इस दिन चतुर्थी तिथि दोपहर करीब डेढ़ बजे से शुरू होगी और अगली शाम तकरीबन 5 बजे तक रहेगी। चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय रविवार को होगा। इसलिए इसी दिन अखुरथ चौथ का व्रत किया जाएगा। इस व्रत में चूहे पर सवार गणेश जी के रूप की पूजा करने का विधान है। पौष महीने में आने वाले इस चतुर्थी व्रत में गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से सौभाग्य बढ़ता है। इस व्रत से सेहत संबंधी परेशानियां भी दूर होने लगती हैं।

संकष्टी चतुर्थी और गणेश पूजा
संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना। इस दिन भक्त अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति जी की आराधना करते हैं। गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना फलदायी होता है। इस दिन उपवास करने का और भी महत्व होता है।

भगवान गणेश को समर्पित इस व्रत में श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाइयों और बुरे समय से मुक्ति पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना और उपवास करते हैं। कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं इसे संकट चौथ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और लाभ प्राप्ति होती है।

पूजा की विधि
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
ग्रंथों में बताया है कि व्रत और पर्व पर उस दिन के हिसाब से कपड़े पहनने से व्रत सफल होता है।
स्नान के बाद गणपति जी की पूजा की शुरुआत करें।
गणपति जी की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप, चंदन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें।
संकष्टी को भगवान गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।

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One Comment

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